पश्चिमोत्तानासन (Forward Bend Pose) :-
परिचय | करने की विधि | किसे करना चाहिए | किसे नहीं करना चाहिए |
परिचय (Introduction) :-
पश्चिमोत्तानासन बैठकर करने वाला आसन है। यह आसन दंडासन में, बैठकर किया जाता हैं। पश्चिमोत्तानासन का नाम दो शब्द की संधि से बनाया गया है पश्चिम का अर्थ है पश्चिम दिशा यानी शरीर के पीछे का भाग और उत्तान का अर्थ है खींचना। एक वाक्य में कहे तो शरीर के पिछले हिस्से में खिंचाव लाने को ही पश्चिमोत्तानासन कहते हैं।
पश्चिमोत्तानासन को ब्रह्माचारियाना और उग्रासना भी कहते हैं। उग्र मतलब तेजस्वी होता है। यह आसन करने से मनुष्य तेजस्वी बनते हैं।
पश्चिमोत्तानासन करने की विधि:
पश्चिमोत्तानासन करने के लिए अपने पैरों को सामने की तरफ से लाइए और सीधा बैठ जाए। अपने हाथों को धीरे से ऊपर की तरफ उठाए और श्वास छोड़ते हुए दोनों हाथों के उंगलियों को अपने पैरों की अंगूठे से मिलाने की कोशिश करें। पैर को मोड़ने ना दें और अपने सिर को धीरे धीरे घुटने से मिलाने की कोशिश करें।
इस आसन को धीरे धीरे करें। पहले की स्थिति में जाने के लिए स्वास लेते हुए ऊपर आए।
यह आसन कब करें और कितनी बार करें :
इस आसन को सुबह और शाम को कर सकते हैं। यह आसन को खाली पेट ही करें।
- इस आसन को 2 से 3 मिनट ही, या फिर आप इसे पांच बार करें। रोजाना अभ्यास करने से यह आसन को आप 7 से 8 बार भी कर सकते हैं।
Benefits :
- पश्चिमोत्तानासन करने से क्रोध, सर में दर्द, नींद ना आना, जैसी तकलीफों से छुटकारा पा सकते हैं।
- यह आसन करने से इनफर्टिलिटी (infertility) की समस्या दूर होती है।
- इस आसन को करने से मोटापा दूर होता है।
- इस आसन को करते वक्त पैरों की मांसपेशियों में खिंचाव आती है जिससे जंघा सुंदर और सुडौल बनती है।
- इस आसन को करने से रीड की हड्डी में खिंचाव उत्पन्न होता है और उन्हें लचीला बनाता है।
- जिन बच्चों की हाइट छोटी है उनके लिए यह आसन बहुत ही ज्यादा लाभदायक है।
- इस आसन को रोजाना करने से पाचन क्रिया बेहतर होती है और खट्टी डकार आना बंद हो जाती है।
- यह आसन रोजाना करने पर शरीर के साथ साथ सिर और गर्दन की मांसपेशियों में खिंचाव आती है और रक्त संचार तीव्र गति से शुरू हो जाती है। जिसके कारण यह आसन तनाव, चिंता या मस्तिष्क से जुड़ी हुई हर समस्या को दूर करता है।
- इस आसन से सीमेंन डिफेक्ट (semen difect), नपुंसकता और अनेक प्रकार के यौन रोगों को भी दूर किया जा सकता है।
- यह आसन करने से आध्यात्मिक शक्ति मिलती है।
- इस आसन को करने से यौनशक्ति की वृद्धि होती है।
- यह आसन करने से पूरे शरीर में रक्त संचार सही रूप से होने लगता है, जिससे शारीरिक दुर्बलता दूर होकर शरीर फुर्तीला और स्वस्थ बनता है।
- पश्चिमोत्तानासन करने से बहु मात्रा, गुर्दे की पथरी और बवासीर आदि रोगों में मदद मिलता है।
- यह आसन करने से असमय सफेद होने वाले बाल भी काले हो जाते हैं।
- पश्चिमोत्तानासन नियमित रूप से करने से किडनी (kidney), इंटेस्टाइन (intestine), स्टमक (stomach), हॉट (heart), लंग (lungs), लीवर (liver), ब्रेन (brain) सक्रिय और सुचारू रूप से काम करना शुरू करने लगता है जिससे इन अंगों में होने वाली रोगों से हम कोसों दूर रहते हैं।
पश्चिमोत्तानासन किसे नहीं करना चाहिए :
- ह्रदय रोग (heart disease)
- हाई ब्लड प्रेशर (High BP)
- स्पाइनल कॉर्ड इंजुरी (Spinal cord injury)
- गर्भवती महिलाएं ( pregnant ladies)
पश्चिमोत्तानासन करने से पहले के आसन:
यह आसन करने से पहले हमें वीरभद्रासन (Warrior Pose), उत्कटासन (Chair Pose) और दंडासन (Staff Pose) करना चाहिए।
पश्चिमोत्तानासन करने के बाद का आसन :
पूर्वोत्तानासन (Purbataanasana)
शवासन (Shabasana)
Also read : योग से परिचय
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